महिला कैंसर जागरूकता पर वर्कशॉप



भीलवाडा कैंसर केयर फाउंडेशन के तहत महिला कैंसर विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। महिला आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित इस संगोष्ठी में कार्यकर्ताओं को स्तन और सरवाइकल कैंसर के बारे में जागरूक किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता भगवान महावीर कैंसर अस्पताल जयपुर के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ ललित मोहन शर्मा ने बताया कि महिलाओं में बच्चेदानी के मुंह का कैंसर एवं स्तन कैंसर भारत में सर्वाधिक रूप से पाया जाता है।

डॉ शर्मा ने बताया कि भारत में करीब दो से ढाई लाख महिलाएं प्रतिवर्ष स्तन कैंसर से ग्रसित होती है। इनमें से 70 फीसदी महिलाएं एडवांस स्टेज में कैंसर अस्पताल पहुंचती है। हर 8वीं महिला को स्तन कैंसर का खतरा है। प्रतिवर्ष करीब 150,000 महिलाएं सरवाइकल कैंसर से ग्रसित होती हैं और करीब 75000 महिलाएं की मृत्यु होती है।
डॉ इन्दु ने बताया कि ग्रामीण महिलाओं में सरवाइकल कैंसर (बच्चेदानी के मुंह का कैंसर) सर्वाधिक होता है। इसका मुख्य कारण जननागों में हृयूमन पैपीलोमा वाइरस इंफेक्शन से होता है। पेप स्मेयर नामक जांच से कैंसर होने से पहले ही पता लगाया जा सकता है।


डॉ शर्मा ने बताया कि प्रतिमाह स्तन की स्वयं जॉच कर स्तन की गांठ में होने वाले कैंसर का शुरूआती अवस्था में पता लगाया जा सकता है। मैमोग्राफी नामक विशेष प्रकार के एक्स-रे द्वारा स्तन कैंसर का पता प्रारंभिक अवस्था में लगाया जा सकता है।

इंटीग्रेटेड चाइल्ड डवलपमेंट सर्विसेज (आईसीडीएस) के डिप्टी डायरेक्टर ओपी सैनी ने बताया कि सरवाइकल कैंसर से बचाव के लिए टीकाकरण उपलब्ध है। इसके तीन इंजेक्शन 14-15 वर्ष की आयु से 40 वर्ष तक की महिलाओं को लगानें से सरवाइकल कैंसर से बचाव संभव है।  इस मौके पर डॉ मुस्ताक अली ने स्तनपान पर जोर देते हुए बताया कि स्तनपान कराने से भी स्तन कैंसर की संभावना कम हो जाती है। 
संगोष्ठी में करीब (200) महिला आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। भीलवाडा कैंसर केयर फाउंडेशन के पीएम बेसवाल ने बताया कि भीलवाडा में कैंसर जागरूकता के लिए इस तरह की कार्यशाला का आयोजन कर भयावह रोग की जल्द जॉच एवं समय पर उपचार की शुरूआत करने के बारे में आमजन को जागरूक किया जाता है।


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