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Showing posts from October, 2017

मनचाही इच्छा पूरी होने पर खिल उठे चेहरे

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  सबसे कम उम्र में ग्रैंड स्लैम खेलने वाली पहली भारतीय खिलाडी लावण्या सिंह खनूजा ने जब कैंसर पीडित बच्चों से मुलाकात करके उन्हें उपहार दिए तो सभी बच्चों के चेहरे पर मुस्कान और आंखों में चमक आ गई। भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में कैंसर का उपचार करवा रहे बाल रोगियों से मिलने के लिए इंटरनेशनल टेनिस प्लेयर लावण्या सिंह हॉस्पिटल पहुंची। लावण्या ने बाल रोगियों के साथ लंबा समय बिताया और उन्हें उपहार देकर उनकी विषेज को पूरा भी किया। बच्चों के साथ खेले गेम्स  लावण्या से मिलकर बच्चों के चेहरे पर एक अलग ही खुषी नजर आई। किसी ने लावण्या के साथ सेल्फी ली तो किसी ने ऑटोग्राफ लिए। बच्चों का उत्साह देखकर लावण्या ने कहा कि बच्चों के साथ हमेषा बच्चा बनकर टाइम बिताने में मजा आता है, इनके साथ जब कोई हंसता है तो जिंगदी और भी खुषनुमा हो जाती है। मुझे इन बच्चों से मिलकर काफी पॉजिटीव एनर्जी मिल रही है। लावण्या ने बच्चों को यूएस ओपन ग्रैंड स्लेम साइन की टेनिस बॉल भी गिफ्ट की जिसे पाकर बच्चें काफी खुष हुए। हॉस्पिटल प्रषासन की ओर से बच्चों को उपहार देने और सेलिब्रिटी

देश में 54 लाख रोगियों को पेलिएटिव केयर की जरूरत

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14 अक्टूबर जयपुर।  कैंसर, एडस, ऑर्गन फेल्यर जैसी बीमारियों में जब रोगी अपने जीवन के अंतिम क्षणों में दर्द से गुजरता है तो उसे पेलिएटिव केयर की आवश्यकता होती है। आज के समय में इंडिया में 54 लाख लोग ऐसी बीमारियों से ग्रसित है जिन्हें पेलिएटिव केयर की आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश भारतीय चिकित्सा व्यवस्था में 2 से 4 फीसदी लोगों को ही पेलिएटिव केयर की सुविधा मिल पाती है। यह कहना है भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय एंव अनुसंधान केन्द्र के पेलिएटिव केयर विभागाध्यक्ष डॉ अंजुम खान जोड का। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस वर्ष 14 अक्टूबर को विश्व पेलिएटिव केयर डे के रूप में मनाया जा रहा हैै। इस मौके पर डॉ अंजुम ने बताया कि गंभीर बीमारी से लडते हुए मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए पेलिएटिव केयर एक टीम के रूप में कार्य करता है। इस टीम में डॉक्टर, नर्स, साइकोलॉजिस्ट, सोशियोलॉजिस्ट फिजियोथैरेपिस्ट, डायटीशियन सभी शामिल होते हैं। पेलिएटिव केयर का लक्ष्य रोगी को दर्द से राहत दिलाने के साथ ही बीमारी में होने वाली तकलीफ को दूर करके रोगी और उनके परिजनों के मनोबल को बढाना है।  डॉ अंजुम के अनुसार ज

एक यूनिट ब्लड डोनेशन से बच सकती है चार ज़िन्दगियाँ

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०१ अक्टूबर नेशनल वॉलेंट्री  ब्लड डोनेशन डे  यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि नियमित रक्तदान की आदत व्यक्ति को हाई कॉलेस्टोल, हार्ट प्रॉब्लम, हिमोग्लोबिन की कमी और मोटापा जैसी बीमारियां से बचा सकती है। इसके साथ ही रक्तदान से शरीर को आंतरिक रूप से भी स्वस्थ रखा जा सकता है। एक रक्तदाता चार लोगों की जिंदगियों को बचा सकता है। ऐसे में रक्तदान से खुद को स्वस्थ रखने के साथ ही लोगों की जिन्दगियों को बचाया जा सकता हैं। हेल्दी रहने का तरीका नियमित ब्लड डोनेशन करना हैल्दी रहने का एक बेस्ट तरीका भी माना जाता है। ब्लड डोनेशन के बाद एक माह में ही नया ब्लड बन जाता है। नियमित रक्तदान करने से यूरिक एसिड और कोलेस्ट्रोल की मात्रा पर कंट्रोल रहता है। शरीर के अंदर से पुराना रक्त निकल जाने से नए खून का संचार होने लगता है, साथ ही नई लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन होना शुरू हो जाता है। शरीर के अनावश्यक तत्व (टॉक्सिन) बाहर निकल जाते हैं। इससे त्वचा से सम्बंधित समस्याएं भी कम होती है। जीवनभर पडती है रक्त की जरूरत देश में गंभीर रोगों से ग्रसित रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। थैले