कैंसर से हारना नहीं कैंसर को हराना है
40 वर्षीया नाथूदेवी निवासी मालपुर, राजस्थान।
नाथूदेवी की ज़ुबानी : ज़िन्दगी की हकीकत का सामना तब हुआ जब ये पता चला की मुँह में जिभ पर हो रखे छोटे से छाले ने कैंसर का रूप ले लिया है, मानो
की जाने एक पल में ही दुनिया बदल गई हो। परिवार में मेरे पति रतन लाल जो की खेती करके घर चलाते है, 3 बेटियां और छोटा सा बेटा। पूरी रात किसी को नींद नहीं आई, सब रो रहे थे, सब को सुबह होने का इंतज़ार था की कब सुबह हो और जयपुर के किसी बड़े अस्पताल में चलें।
जब हम अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर साब ने ऑपरेशन करने को कहा एवं ऑपरेशन हेतु गले को खोल के ऑपरेशन कहने की बात की। में डर गई मेंने ऑपरेशन ना करवाने की ज़िद्द पकड़ ली, मुझे डर था की कही में कुरूप ना हो जाऊ।
जैसे
तैसे मेरे पति मुझे वहाँ से बाहर एक जूस की दुकान
पर ले गए एवं ऑपरेशन के लिए मानाने की कोशिश करने लगे।
हमारी बाते सुन कर जूस वाले ने हमे सलाह दी की आप इन्हे भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल में ले जाइये, यह अस्पताल जयपुर का सबसे बड़ा कैंसर उपचार का केंद्र है, एक बार वहाँ के डॉक्टर से भी सलाह ले लीजिये। हम उसी दिन महावीर कैंसर अस्पताल में डॉ नरेश जाखोटिया के पास आए। डॉक्टर जाखोटिया ने मुझसे सबसे पहला सवाल पूछा की क्या आप किसी तरह का व्यसन करती है? मैंने बताया की में तंबाकू वाला मंजन करती हूँ मुझे वह अच्छा लगता है, डॉक्टर साहब ने मुझे इस आदत को तुरंत ही छोड़ने के लिए सलाह दी एवं मुझे समझाया की यह मंजन सेहत के लिए हानिकारक है, बस उसी दिन मेने मंजन का व्यसन छोड़ दिया ।
डॉक्टर ने ऑपरेशन करने को कहा पर तसल्ली तब मिली जब यह बोला की ऑपरेशन कर जीभ पर हुए छाले को हटाना पड़ेगा एवं हो सकता है की वह हिस्सा काटना भी पड़े, पर उससे आपके बोलने में कोई फर्क नहीं पड़ेगा एवं ऑपरेशन के बाद रेडिएशन के सेक द्वारा भी इलाज किया जाएगा। यह सुन कर मेने सर्जेरी हेतू सहमति दे दी एवं सर्जेरी के बाद रेडिएशन के सेक भी लगाए गए। इलाज 2 साल तक चला अब मेँ पूर्णतः स्वस्थ हूँ एवं डॉक्टर की सलाह अनुसार खाना एवं दवाइया लेती हूँ। हर तीन महीने में डॉक्टर साहब को दिखाने आती हूँ।
आज में बहुत खुश हूँ व् अब में मेरे आसपास सभी को तम्बाकू
सेवन न करने की समझाइश करती हूँ। आज मुझे पता है की जिंदगी कितनी मूल्यवान है, इस अमूल्य ज़िन्दगी को 1 या 2 रुपये की पूड़ी से बर्बाद नहीं करना चाहिए।
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