भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय में कैंसर के उपचार के बाद खुद को संभाला, अब दे रही है समाज को दिशा


जयपुर निवासी अर्चना गुप्ता बनी कैंसर रोगियों के लिए प्रेरणा


कैंसर को मात देकर सामान्य जीवन जी रही जयपुर निवासी अर्चना गुप्ता अब उन सैंकडों महिलाओं के लिए आदर्श है, जो कैंसर को मात देने के लिए जुझ रही हैं।

कैंसर को हराया 
जयपुर निवासी अर्चना को साल 2013 में चिकित्सकीय जांच में स्तन कैंसर होने की जानकारी हुई। कैंसर का नाम सुनते ही एकबारगी उनकी और परिवारिक सदस्यों की आंखे भर आई। लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों और उनके विश्वास ने उन्हें नई हिम्मत प्रदान की। अब यह स्तन कैंसर से पूरी तरह निजात पा चुकी हैैं।

कैंसर नहीं है जानलेवा
भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय के डॉ. अनिल गुप्ता से मिलकर उपचार की सारी विधि स्वयं अर्चना एवं परिवार के समस्त सदस्यों ने समझी। डॉ. अनिल गुप्ता ने आश्वस्त किया था कि उपचार के बाद वह पूरी तरह सामान्य हो जायेगी। डाक्टर की समझाईश से उन्हें मानसिक सम्बल मिला एवं अर्चना उपचार के लिए तैयार हो गई। ऑपरेशन के बाद कीमोथैरेपी द्वारा उपचार हुआ। आज अर्चना पूरी तरह कैंसर मुक्त है। अर्चना ने अपने उपचार की सफलता का श्रेय अपने पति, अपनी माँ, छोटे बेटे एवं पड़ोस में रहने वाली महिला मित्र को दिया है। यह सभी अर्चना को हमेशा सकारात्मक नजरिया रखने का संदेश देते रहते थे।

समाज बदले सोच
स्तन कैंसर के बाद जब अर्चना से उनके हटाये गये स्तन को लेकर सामाजिक सोच के बारे में पुछा तो उन्होंने बताया कि यह इंसान के स्वयं के ऊपर निर्भर करता है। इंसान की सुन्दरता का परिचय उसके विचारों से होता है फिर भले ही उसके शरीर का कोई अंग हो या न हो इससे उसकी सुन्दरता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि कुछ लोग इसकोे अलग तरीके से लेकर देखते है। ऐसे में अब कैंसर के उपचार के बाद वह उन सभी लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने का काम कर रही हैं। ताकि कैंसर के उपचार के दौरान हुए शारीरिक बदलाव से उन्हें हीन भावना से ना देखा जाए। साथ ही इनका कहना है कि तकनीक के विस्तार के साथ अब स्तन कैंसर के बाद नए सिरे से ब्रेस्ट इंप्लांटेशन यानि की स्तन प्रत्यारोपण संभव है।

कैंसर रोगियों में आत्मविश्वास आवश्यक
अर्चना के प्रबल आत्मविश्वास को देख भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के प्रबंधकों और चिकित्सकों ने उन्हें अन्य महिला कैंसर रोगियों को प्रेरित करने की पहल में भागीदार बनने का अनुरोध किया। अर्चना ने तत्काल इस पहल के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी।  आज अर्चना उन सभी महिला रोगियों की काउन्सलिंग कर सकारात्मक सोचने के लिए मानसिक सम्बल दे रही है, जो महज कैंसर होने से ही अवसाद की स्थिति में थी।

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