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गम अकेला है तो सांसो को सताता है बहुत, दर्द को दर्द का हमदर्द बनाया जाए ।

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डोनेट अ लाइफ परियोजना  तहत निःशुल्क इलाज।  गम अकेला है तो सांसो को सताता है बहुत, दर्द को दर्द का हमदर्द बनाया जाए।  घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जायें - निदा फाजली इलाज शुरू दिनांक - 16.09.2014 नाम - मास्टर मोहित , 10 वर्ष डॉक्टर - डॉ. अजय बापना बीमारी - एचडी मास्टर मोहित 10 वर्ष को उसके पिता बेलदारी का काम करने वाले श्री लालचन्द सैनी, मांडवा जिला झुंझनु से सितम्बर, 2014 में भगवान महावीर कैंसर अस्पताल में लेकर आये।  बच्चे को गर्दन के दोनों ओर गंठाने थी और बार-बार बुखार की शिकायत थी। गंठान की बॉयोप्सी सीकर के एक अस्पताल में हुई जहां होजकिन्स लिम्फोमा कैंसर का निदान होने पर बच्चे को इस अस्पताल में लेकर आयें। गांठ के ब्लॉक्स मंगाकर अस्पताल की लैबोरेटरी में उनका पुनः विस्तृत परीक्षण किया गया व अन्य जांचे हुई। पेट सीटी करवाया  गया। कैंसर गर्दन, सीने और पेट की गंठानो में फैला हुआ था, निदान हुआ होजकिन्स लिम्फोमा एडवांस स्टैज-4 बीएस आया ।  चिकित्सक की अनुशंसा एवं परिवारजनों की रजामंदी पर जीव...

आंधियों तुमने दरख्तों को गिराया होगा, फूल से तितली को गिरा के देखो।

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जिन चिरागों को हवाओं का कोई खौफ नहीं उन चिरागों को हवाओं से बचाया जायें , घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जायें -  निदा फाजली   नाम - मास्टर रामावतार जाट, एडमिशन दिनांक - 22.09.2014, 10 वर्ष, डॉ. अजय बापना खेतीहर शंकर चौधरी अपने 10 वर्ष के बच्चे रामावतार को सितम्बर, 2014 में लेकर आये। बच्चे के गर्दन के दायीं ओर गाँठ थी जो उत्तरोतर बढ़ रही थी। बीच-बीच में बुखार भी हो जाता था। पिता ने बताया कि 2010 में जयपुर के एक बड़े निजी अस्पताल में गाँठ की जाँच करवाई थी जिसकी मार्कर स्टड़ी के उपरान्त क्लासिकल होजकिन्स लिम्फोमा का निदान हुआ था। जयपुर के एक अन्य अस्पताल में उन्होंने एबीवीडी’ मल्टी ड्रग प्रोटोकोल की कीमोथैरेपी की एक साईकल ली। लेकिन अपनी आर्थिक हालत के कारण ईलाज पर खर्चा वहन नहीं कर पाने पर आगे ईलाज नहीं करवाया। बड़ा मलाल रहा कि बच्चे का ईलाज नहीं करवा पा रहे है। मजबुरी थी, ईश्वर भला करेगें। लेकिन गले की गांठ आकार में बढती गई। सीने की गाँठो में भी फैल गई। तीन वर्ष बाद भगवान महावीर कैंसर अस्पताल में गाँठ के नमूने का पुनः परीक्...

मंजिलें क्या हैं, रास्ते क्या हैं। हौंसला हो तो, फासले क्या हैं।

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घर   से   मस्जिद   है   बहुत   दूर   चलो   यूँ   कर   लें ,   किसी   रोते   हुए   बच्चे   को   हँसाया   जायें   -   निदा   फाजली उदयपुरवाटी , झुन्झनु के मास्टर शौर्य को किराने की दूकान करने वाले उसके पिता 14 अप्रेल 2014 को लेकर भगवान महावीर कैंसर अस्पताल में आये। बताया कि 4 माह पहले तक हँसते खेलते शौर्य को बारबार बुखार , थकावट , कमजोरी और रक्तस्त्राव   होने पर एक बड़े अस्पताल में दिखाया , जाँच पर प्लेटलेट्स काफी कम पाई गई। अस्थिमज्जा के परीक्षण पर उन्हें मज्जा में कोशिकाओं का गहन अभाव पाया ( पेनसाइटो पीनिया ) । निदान के अनुसार बच्चे को घातक अप्लास्टिक एनिमीयां था। अर्थात बच्चे की अस्थिमज्जा में रक्त कोशिकाएं बनाने की क्षमता एकदम लुप्त थी। निदान सुनकर माँ बाप के होश उड़ गये। उन्हें बताया गया कि इसका एकमात्र उपाय बोनमैरो ट्रांसप्लान्ट ( प्रतिरोपित ) करना था। उस सरकारी...