बच्चों में इन लक्षणों का ना करें अनदेखा, हो सकता है ब्रेन कैंसर
बच्चों में इन लक्षणों का ना करें अनदेखा, हो सकता है ब्रेन कैंसर
मस्तिष्क में जब असामान्य कोशिकाएं विकसित होने लगती है तो ब्रेन ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। कोशिकाओं के विकास की गति ट्यूमर के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होती है, लेकिन इस दौरान कई लक्षण व्यक्ति में नजर आते है। इन लक्षणों को अगर गंभीरता से लेकर समय पर चिकित्सक से सलाह ली जाए तो शुरूआती अवस्था में इसकी पहचान कर रोगी को बचाना संभव हो पाता है। जीवनशैली में आए परिवर्तन की वजह से ब्रेन ट्यूमर के अहम लक्षण सरदर्द और याददाश्त का कमजोर होना जीवनशैली का हिस्सा बनते जा रहे है। आज के समय में ब्रेन टयूमर के उपचार में कई नवीन तकनीक आ रही हैं, इसके बावजूद रोग की पहचान समय पर ना होने के कारण रोगी की मृत्युदर भी तेजी से बढ़ती जा रही है।
इन्हें ना करें अनदेखा
बच्चों और वयस्कों में इसके लक्षणों में काफी समानता है। इन लक्षणों में तेज या लगातार रहने वाला सिरदर्द, चलने में परेशानी, तालमेल में समस्या, मांसपेशियों में कमज़ोरी, रह-रहकर परेशानी होना, शरीर के एक तरफ़ कमज़ोरी या हाथों और पैरों की कमज़ोरी, चक्कर आना, उल्टी या मतली आना, चुभन महसूस करना या स्पर्श कम महसूस होना, ठीक से बोलने और समझने में परेशानी या सुध-बुध खोना, दौरे पड़ना, धुंधला दिखना, बेहोशी आना, बोलने में कठिनाई या व्यक्तित्व में बदलाव।
युवाओं में बढती परेशानी
50 वर्ष से ज्यादा की उम्र के सामने आने वाला ब्रेन ट्यूमर अब युवा अवस्था में भी मे तेजी से सामने आ रहा है। 30 से 40 की उम्र में भी हजारों रोगी इसका उपचार ले रहे है। छोटी उम्र में तेजी से बढ़ते मामलों को लेकर मेडिकल साइंस में कई रिसर्च हुई हैं, लेकिन अभी तक इसके कारणों का पता नही लग पाया है। कई शोध में पाया गया है कि मोबाइल का अधिक उपयोग और रेडिएशन एक्सपोजर के कारण मस्तिष्क पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे व्यक्ति के व्यवहार में कई तरह के परिवर्तन सामने आते है।
80 फीसदी रोगी समय पर नहीं लेते उपचार
ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों की अनदेखी और समय पर पहचान ना होने के कारण 80 फीसदी से ज्यादा रोगी ट्यूमर के पूरी तरह से बढ़ जाने के बाद न्यूरो एक्सपर्ट के पास आते हैं। एडवांस स्टेज में ट्यूमर की पहचान होने पर उसे तुरंत प्रभाव से ऑपरेशन के जरिए उपचार दिया जाता है। कुछ केसेज में रोगी ट्यूमर की पहचान होने के बाद भी बाबा और झाड़-फूंक के चक्कर में फंसकर उपचार मे देरी करते हैं।
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