लगातार बढ़ता प्रदुषण बन सकता है फेफड़े, श्वसन नली और मूत्राशय के कैंसर का कारन
7 uocaj 2019
नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे विशेष
- तेजी से बढ़ रहे पर्यावरण प्रदूषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता में आ रही है कमी
- बढ़ते प्रदूषण के साथ फेफड़े, श्वसन नली और पेट के कैंसर की समस्या में हो सकती है बढ़ोतरी
जयपुर।
पिछले कुछ समय से हर व्यक्ति प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है। दिल्ली सहित प्रदेश में तेजी से बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य पर कई हानिकारक प्रभाव डाल रहा है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को कम करने के साथ ही कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का भी कारण बन सकता है। हवा प्रदूषण से होने वाले कैंसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्यूएचओ) सहित कई विश्वस्तरीय संस्थान अनुंसधान कर चुके है, जिसमें बढ़ते प्रदूषण कैंसर को कैंसर का एक प्रमुख कारण माना गया है।
पिछले कुछ समय से हर व्यक्ति प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है। दिल्ली सहित प्रदेश में तेजी से बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य पर कई हानिकारक प्रभाव डाल रहा है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को कम करने के साथ ही कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का भी कारण बन सकता है। हवा प्रदूषण से होने वाले कैंसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्यूएचओ) सहित कई विश्वस्तरीय संस्थान अनुंसधान कर चुके है, जिसमें बढ़ते प्रदूषण कैंसर को कैंसर का एक प्रमुख कारण माना गया है।
भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमसीएचआरसी) के कैंसर रोग विशेषज्ञ, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ नरेश सोमानी ने बताया कि इंसान के शरीर में वायु प्रदूषण जल्दी असर करता है क्योंकि यह सांस के साथ हवा के रूप में शरीर में पहुंचता है। प्रदूषण में मौजूद हानिकारक केमिकल और डस्ट पार्टिकल्स श्वसन नली के जरिए शरीर में पहुंचते हैं और रक्त में घुलकर शरीर के अन्य अंगों पर हानिकारक प्रभाव डालते है। वर्तमान में डब्ल्यूएचओ की ओर से प्रकाशित ग्लोबल ट्रायल में सामने आया है कि जैसे-जैसे हवा में पार्टिकल साइज और डेनसिटी बढ़ती है उसी के साथ कैंसर होने की संभावना भी बढ़ती है। इसमें प्रमुख रूप से लंग कैंसर, लीवर कैंसर, मूत्राशय का कैंसर, आंत का कैंसर और श्वसन नली के कैंसर शामिल है। प्रदूषण से कैंसर रोग से होने वाली मौत की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी गई है।
मुंह और स्तन कैंसर के बढ़ रहे रोगी
पुरूषों और महिलाओं दोनों में कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। इनमें पुरूषों में मुंंह और महिलाओं में स्तन कैंसर के केस सर्वाधिक है। बीएमसीएचआरसी के रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ दिनेश सिंह ने बताया कि आईसीडी कोडेड के आधार पर तैयार आंकडा के अनुसार चिकित्सालय में पिछले पांच वर्षों के आंकड़ो के अनुसार रोगियों में तेजी से वृद्वि हो रही है। इसके अनुसार पुरूषों और महिलाओं में पांच प्रमुख कैंसर में पुरूषों में मुंह, श्वसन, पाचनतंत्र, रक्त कैंसर, जननागों के कैंसर और महिलाओं में स्तन, जननागों, पाचनतंत्र, रक्त एवंम मुंह का कैंसर शामिल है।
पुरूषों और महिलाओं दोनों में कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। इनमें पुरूषों में मुंंह और महिलाओं में स्तन कैंसर के केस सर्वाधिक है। बीएमसीएचआरसी के रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ दिनेश सिंह ने बताया कि आईसीडी कोडेड के आधार पर तैयार आंकडा के अनुसार चिकित्सालय में पिछले पांच वर्षों के आंकड़ो के अनुसार रोगियों में तेजी से वृद्वि हो रही है। इसके अनुसार पुरूषों और महिलाओं में पांच प्रमुख कैंसर में पुरूषों में मुंह, श्वसन, पाचनतंत्र, रक्त कैंसर, जननागों के कैंसर और महिलाओं में स्तन, जननागों, पाचनतंत्र, रक्त एवंम मुंह का कैंसर शामिल है।
इन लक्षणों का रखें विषेष ध्यान
आमतौर पर कैंसर के लक्षण सामान्य बीमारी की तरह नजर आते हैं, लेकिन यह लक्षण ठीक नहीं होकर समय के साथ बढ़ते रहते है। ऐसे में जरूरी है कि शरीर में आने वाले परिवर्तनों को नजर अंदाज करे बगैर समय पर चिकित्सक की परामर्ष लेकर जांच करवाएं। खान-पान या शौच की आदतों पर बदलाव, आवाज में परिवर्तन, मुंह में छाला, ना भरने वाला घाव, शरीर के किसी भी अंग में गांठ का महसुस होना सभी कैंसर के शुरूआती लक्षण होते है।
आमतौर पर कैंसर के लक्षण सामान्य बीमारी की तरह नजर आते हैं, लेकिन यह लक्षण ठीक नहीं होकर समय के साथ बढ़ते रहते है। ऐसे में जरूरी है कि शरीर में आने वाले परिवर्तनों को नजर अंदाज करे बगैर समय पर चिकित्सक की परामर्ष लेकर जांच करवाएं। खान-पान या शौच की आदतों पर बदलाव, आवाज में परिवर्तन, मुंह में छाला, ना भरने वाला घाव, शरीर के किसी भी अंग में गांठ का महसुस होना सभी कैंसर के शुरूआती लक्षण होते है।
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