एक यूनिट ब्लड डोनेशन से बच सकती है चार ज़िन्दगियाँ

०१ अक्टूबर नेशनल वॉलेंट्री ब्लड डोनेशन डे 


यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि नियमित रक्तदान की आदत व्यक्ति को हाई कॉलेस्टोल, हार्ट प्रॉब्लम, हिमोग्लोबिन की कमी और मोटापा जैसी बीमारियां से बचा सकती है। इसके साथ ही रक्तदान से शरीर को आंतरिक रूप से भी स्वस्थ रखा जा सकता है। एक रक्तदाता चार लोगों की जिंदगियों को बचा सकता है। ऐसे में रक्तदान से खुद को स्वस्थ रखने के साथ ही लोगों की जिन्दगियों को बचाया जा सकता हैं।

हेल्दी रहने का तरीका
नियमित ब्लड डोनेशन करना हैल्दी रहने का एक बेस्ट तरीका भी माना जाता है। ब्लड डोनेशन के बाद एक माह में ही नया ब्लड बन जाता है। नियमित रक्तदान करने से यूरिक एसिड और कोलेस्ट्रोल की मात्रा पर कंट्रोल रहता है। शरीर के अंदर से पुराना रक्त निकल जाने से नए खून का संचार होने लगता है, साथ ही नई लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन होना शुरू हो जाता है। शरीर के अनावश्यक तत्व (टॉक्सिन) बाहर निकल जाते हैं। इससे त्वचा से सम्बंधित समस्याएं भी कम होती है।

जीवनभर पडती है रक्त की जरूरत
देश में गंभीर रोगों से ग्रसित रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। थैलेसिमिया और कैंसर जैसी बडी बीमारियों के पेशेंट में भी उपचार के दौरान रक्त की जरूरत पडती है। थैलेसिमिया के एक पेशेंट को अपने जीवन काल में सात हजार, कैंसर पेशेंट को 20 से 100, एडस पेशेंट को 20 से 100 और ब्लड डिसऑर्डर के पेशेंट को 50 से 5000 यूनिट तक ब्लड की जरूरत पडती है। इसलिए स्वैच्छिक रक्तदाताओं के आंकडे बढे यह काफी जरूरी है।
नियमित रक्तदान के हैं कई फायदें
ब्लड डोनेशन करते रहने से कॉलेस्टोल की कुछ मात्रा ब्लड के साथ निकलती रहती है। ऐसे में जो लोग नियमित रक्तदान करते हैं उन के शरीर में कॉलेस्टोल लेवल सही रहता है। हर तीसरे माह रक्तदान करने वाले व्यक्ति को अपनी बॉडी से एक्सटा वेट से भी छूटकारा मिलता है। शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की आयु केवल 90 से 120 दिन होती है। ऐसे में अगर कोई रक्तदान नहीं भी करे तो भी यह कणिकाएं शरीर में खत्म होकर नई बनती है, इसलिए रक्तदान करके किसी को जीवनदान दिया जा सकता है।

हर स्वस्थ व्यक्ति बन सकता है डोनर
शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को नियमित रूप से रक्तदान करना चाहिए। 18 साल से लेकर 60 साल तक के स्वस्थ्य व्यक्ति रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान करते वाले का वजन कम से कम 48 किलो और हिमोग्लोबिन कम से कम 12. 5 होना चाहिए। ऐसे व्यक्ति हर तीन माह में एक बार रक्तदान कर सकते हैं। हालांकि कई लोगों में ब्लड डोनेशन को लेकर कुछ गलत धारणाएं भी है जैंसे वजन का कम या ज्यादा हो जाना, खून की कमी होना या कमजोरी आना लेकिन वास्तव में इनमें कोई सच्चाई नहीं है।
इसलिए जरूरी है रक्तदान
एक यूनिट रक्त में से चार महत्पूर्ण कम्पोनेंट को अलग किया जाता है, जिसमें लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी), प्लेटलेट, प्लाजमा और क्रायो शामिल है। ऐसे में रोगी की आवश्यकता के अनुसार उसे रक्त चढाया जाता है। ऐसे में एक डोनर चार रोगियों को जीवनदान दें सकता है। इसके साथ ही स्वैच्छिक रक्तदान के बाद ब्लड बैंक की ओर से डोनर्स (रक्तदाता) को एक कार्ड दिया जाता है। यही कार्ड डोनर की पहचान होता है। एसे में डोनर को जब कभी ब्लड की जरूरत हो तो वह इस कार्ड के जरिए ब्लड बैंक से ब्लड प्राप्त कर सकता हैं। ऐसे में उस व्यक्ति को जरूरत के समय ब्लड डोनेट करने का या रिप्लेसमेंट डोनर की व्यवस्था करने की जरूरत नहीं पडती।
नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल और राष्टीय एडस नियंत्रण संगठन और भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 1975 से हर साल 1 अक्टूबर को नेशनल वॉलेंटी ब्लड डोनेशन डे मनाया जाता है। इसका उददेश्य 100 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान प्राप्त करना है ताकि जरूरतमंद रोगियों को जरूरत के अनुसार रक्त दिया जा सके, लोगों में स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरूकता बढाना है।
यह है राजस्थान की स्थिति
राजस्थान में वॉलेन्टी ब्लड डोनेशन की संख्या की में निरंतर इजाफा हो रहा है। राजस्थान स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल से मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान में कुल 115 ब्लड बैंक हैं, इनमें 46 गवर्नमेंट, 06 सेन्टल गवर्नमेंट और 63 प्राइवेट ब्लड बैंक शामिल हैं। इन ब्लड बैंक के जरिए 2016-17 में कुल ब्लड डोनेशन 5,91,978 यूनिट हुआ इसमें से वॉलेन्टी ब्लड डोनेशन 4,66,464 यूनिट (78. 79 फीसदी) था। 2017-18 में अगस्त माह तक कुल ब्लड डोनेशन 2,73,736 यूनिट हुआ इसमें से वॉलेटी डोनेशन 2,05,238 यूनिट हुआ है। आमजन में रक्तदान को लेकर बढी जागरूकता के कारण 2017-18 में अब तक हुए वॉलेंटी डोनेशन में से 1,14,844 यूनिट ब्लड शिविरों के आयोजन के सहयोग से आयोजित किया गया है।

डॉ के सी लोकवाणी 
एच ओ डी - ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग 




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