कैंसर विजेता छीतरमल गुर्जर की मुहिम "ज़िन्दगी चुनो, तम्बाकू नहीं"



जयपुर के जगतपुरा निवासी किसान छीतरमल कैंसर मरीजों के लिए एक जीवंत मिसाल है, जो कैंसर को पराजित कर अपना सामान्य जीवन जी रहे है। जी हां, जगतपुरा, जयपुर निवासी छीतरमल गुर्जर पेशे से किसान है। वर्ष 2003 में इनको गले में दर्द की शिकायत हुई 4-6 महिने ऐसे ही निकाल दिये, तकलीफ बढ़ने पर चिकित्सक को दिखाया, चिकित्सक ने सीधे भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय में दिखाने की सलाह दी। डॉ. संजीव पाटनी को दिखाया। जीभ की बॉयोप्सी की। पता चला कैंसर है। ऑपरेशन हुआ, उपचार चला। लगातार 5 वर्ष तक चिकित्सालय में फोलोअप पर रहा। आज पूरी तरह कैंसर मुक्त स्वस्थ जीवन जी रहे है।


                                                                   इसलिए है खास
इलाज से पहले 
यह भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के लिए खास इसलिए है कि इन्होंने ना केवल कैंसर को हराया साथ ही अन्य मरीजों में भी कैंसर को हराने के लिए आत्मविश्वास पैदा कर रहे है। छीतरमल तम्बाकू मुक्त जीवन जीने के लिए अपने आसपास के लोगों को प्ररित कर रहे है, ताकि उनको तम्बाकू से हुआ गंभीर कैंसर रोग अन्य किसी को नहीं हो।

इलाज पर भरोसा, स्वयं पर आत्मविश्वास
अपने उपचार के बारे में बताते हुये छीतर मल गुर्जर ने बताया कि एक बार तो यह लगा कि कैंसर जीवन पर भारी रहेगा। लेकिन भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के चिकित्सको से उपचार की पूरी प्रक्रिया समझने के बाद लगा कि मेेरे स्वस्थ होने की पूरी संभावना है। बस यही विश्वास मन में रखकर कैंसर को हराने की जिद ठान ली। बेहतर इलाज, परिजनों का साथ, मन का आत्मविश्वास और तंबाकू से दूरी का ही परिणाम है कि मैं आज बिलकुल स्वस्थ हुँ।





जरूरी है समुचित इलाज
भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय के बारे में बताते हुये इन्होंने कहा की यदि जयपुर में कैंसर उपचार की यह सुविधा नहीं होती तो मेरा उपचार करवा पाना असंभव था। कैंसर उपचार के लिए लगातार अस्पताल एवं चिकित्सकों के संपर्क में रहना पडता है। कैंसर ईलाज की प्रक्रिया लंबी अवश्य है लेकिन कारगर है। भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय में कैंसर के उपचार की सम्पूर्ण सुविधाएं उपलब्ध होने से उन्हें उपचार में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई।

अब आजीवन तम्बाकू से दूरी
इलाज के बाद 

छीतरमल तंबाकू सेवन के आदी थे। लेकिन जब उन्हें पता लगा कि कैंसर होने की वजह तम्बाकू था, तब से आज तक इसके सेवन से ना केवल दूरी बना रखी है। साथ ही अन्य लोगों को भी तंबाकू सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करते है। अपनी बीड़ी पीने की लत के बारे में बताते हुये छीतर मल ने कहा कि मैंने तो कैंसर कारक बीड़ी को त्याग दिया है, लेकिन आज का युवा तम्बाकू की भयंकर गिरफ्त में है। हमें सकारात्मक कदम उठाकर इनसे होने वाली भयावह बीमारियों के बारे में युवा पीढ़ी को जागरूक करना चाहिए।

बने अस्पताल के गौरव 
छीतरमल गुर्जर ने भगवान महावीर कैंसर अस्पताल में इलाज करवाकर कैंसर को पराजित किया। साथ ही अस्पताल प्रबंधन की तंबाकू से दूरी मुहिम में पूरे मनोयोग से साथ निभाने का प्रण लिया। प्रबंधन को उनकी इस पहल पर गर्व है और तंबाकू मुक्त आभियान में इनकी भागीदारी की सराहना करता है।

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